नई दिल्ली: दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे देश की सबसे आधुनिक सड़कों में से एक बनने जा रही है। इस हाईवे के निर्माण के दौरान जानवरों की सुरक्षा को लेकर कई योजनाएँ बनाई गई थीं। इन्हीं में से एक थी Monkey Ladder यानी बंदरों के लिए सीढ़ीनुमा पुल। लेकिन अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने इसे बनाने से इनकार कर दिया है।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे उत्तर भारत का सबसे तेज़ और सुरक्षित मार्ग बनने वाला है। यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद दिल्ली से देहरादून का सफर महज़ दो घंटे 30 मिनट में पूरा हो सकेगा। इस हाईवे के निर्माण के दौरान जानवरों की सुरक्षा को लेकर कई योजनाएँ बनाई गई थीं। जिसमें से एक था मंकी लेडर, जिसपर अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने रोक लगा दी है।
क्यों बदली योजना?
NHAI अधिकारियों का कहना है कि Monkey Ladder का विचार व्यवहारिक नहीं था।सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि बंदरों और अन्य छोटे जानवरों को ऐसी सीढ़ीनुमा संरचना इस्तेमाल करने की आदत नहीं होती हैं।रखरखाव (Maintenance) में भी भारी खर्च और कठिनाई आ सकती है।जानवरों की सुरक्षा के लिहाज़ से यह स्थायी समाधान नहीं था इसलिए इस योजना को बदलना पड़ा।
इन्हीं सब वजहों से इस प्रोजेक्ट को बदलकर वाइल्डलाइफ कॉरिडोर (Wildlife Corridors) बनाने का निर्णय लिया गया है।
इस योजना के अनुसार जहां-जहां से जानवरों की आवाजाही ज्यादा होती है, वहां वाइल्डलाइफ अंडरपास और ओवरब्रिज बनाए जाएंगे।सड़क किनारे ग्रीन बेल्ट और बाउंड्री वॉल बनाई जाएगी ताकि जानवर सीधे हाईवे पर न आ सकें। साथ ही एक्सप्रेसवे के कई हिस्सों में CCTV कैमरे और स्पीड मॉनिटरिंग सिस्टम भी लगाए जाएंगे।
पर्यावरणविदों ने किया स्वागत
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला सही है, क्योंकि प्राकृतिक रास्तों (Natural Corridors) को बचाकर ही वन्यजीवों और इंसानों के बीच टकराव को रोका जा सकता है। इस तरह के फैसले से विकास और पर्यावरण दोनों का संतुलन बना रहेगा।





