देहरादून। उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे के दौरान आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राज्य विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया। सुबह 11 बजे राष्ट्रपति मुर्मु विधानसभा भवन पहुंचीं, जहां विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका स्वागत किया।
राष्ट्रपति के आगमन के साथ ही सदन में विशेष उत्साह और गर्व का माहौल देखने को मिला। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि “यह उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण है कि देश की राष्ट्रपति इस विशेष सत्र में शामिल हुई हैं।”
राष्ट्रपति मुर्मु का संबोधन — ‘संघर्ष से सीखा, सेवा से सींचा’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने संबोधन में उत्तराखंड की जनता, राज्य आंदोलनकारियों और महिलाओं के योगदान को नमन किया। उन्होंने कहा “यह राज्य संघर्ष और संकल्प से बना है। यहां की जनता ने कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार किया है। आज उत्तराखंड विकास और पर्यावरण संतुलन, दोनों में उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।”
उन्होंने बताया कि राज्य गठन के बाद से अब तक 500 से अधिक विधेयक पास किए जा चुके हैं, जो उत्तराखंड की लोकतांत्रिक परंपरा की मजबूती को दर्शाते हैं।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि उत्तराखंड विधानसभा ने महत्वपूर्ण अवसरों पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोकतंत्र की सच्ची भावना को मजबूत किया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री धामी सरकार द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम राज्य के संतुलित विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
मुख्यमंत्री धामी बोले — ‘यह राज्य के लिए गौरवशाली क्षण’
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रपति का उत्तराखंड आगमन पूरे राज्य के लिए प्रेरणादायक और गौरवपूर्ण अवसर है।राष्ट्रपति मुर्मु का सम्पूर्ण जीवन संघर्ष और संकल्प का प्रतीक है। उन्होंने समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का काम किया है।
नेता प्रतिपक्ष ने दी विकास के नए सुझाव
विशेष सत्र में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी राष्ट्रपति के आगमन पर खुशी जताई और कहा “यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्रपति के समक्ष बोलने का अवसर मिला। उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां विशिष्ट हैं — हमारे पड़ोसी देश चीन और नेपाल से सीमाएं लगती हैं, जबकि गंगा और यमुना हमारी सभ्यता की आत्मा हैं।”
उन्होंने राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बेहतर प्रबंध, साथ ही जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा, तथा रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा के सुदृढ़ीकरण की जरूरत पर बल दिया।
सत्र का संदेश — विकास, संवाद और संवेदना का संगम
राष्ट्रपति के इस विशेष संबोधन ने उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया। यह सत्र न केवल संवैधानिक गरिमा का प्रतीक बना, बल्कि उत्तराखंड के विकास की दिशा में नए विचार और संकल्प भी लेकर आया।





