Navratre 2025 : आगामी 22 सितम्बर से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक चलने वाले शारदीय नवरात्र इस साल खास माने जा रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों के होंगे और बीच में कोई तिथि क्षय नहीं होगी। यही कारण है कि साधकों और भक्तों के लिए यह समय अत्यंत शुभ माना जा रहा है।
क्यों रखे जाते हैं नवरात्रों के व्रत?
नवरात्रो के व्रत सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि आत्मसंयम और साधना का मार्ग भी माने जाते हैं। इन व्रतों के पीछे कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं—
1. माँ दुर्गा और महिषासुर की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार असुरराज महिषासुर ने ब्रह्मा जी से वरदान पाकर देवताओं को परास्त कर दिया था। उसके अत्याचारों से त्रस्त देवताओं ने मिलकर माँ दुर्गा को उत्पन्न किया। माँ ने लगातार नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन महिषासुर का वध कर दुनिया को आतंक से मुक्ति दिलाई थी।
इसीलिए नवरात्र में नौ दिनों तक देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और दशमी को विजयदशमी (दशहरा) मनाया जाता है।
2. श्रीराम और माँ दुर्गा की पूजा
रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध से पहले नवरात्रों में उपवास रखकर माँ दुर्गा की साधना की। देवी की कृपा से ही उन्हें विजय प्राप्त हुई और दशहरे के दिन रावण का वध हुआ।
इस परंपरा के चलते आज भी भक्त मानते हैं कि नवरात्र व्रत रखने और पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और सफलता मिलती है।
इस साल क्यों विशेष हैं नवरात्र?
पंडितों के मुताबिक इस बार नवरात्रि बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि इस बार पूरे 9 दिन पूर्ण रूप से मिल रहे हैं, न कोई तिथि क्षय होगी और न ही वृद्धि। यह शुभ संयोग साधना, व्रत और अनुष्ठान करने वालों के लिए बेहद फलदायी रहेगा।
नौ दिन पूरे होने से माँ दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों की पूजा संभव होगी।इस बार नवरात्रे सोमवार से शुरू हो रहे हैं और गुरुवार को समाप्त होंगे। धार्मिक मान्यता है कि सोमवार को नवरात्रे शुरू होना चिरस्थायी सुख-समृद्धि का प्रतीक है।
दशहरा 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन आ रहा है, जिसे शुभ और ऐतिहासिक संयोग माना जा रहा है।
क्यों रखे जाते हैं नवरात्रों के व्रत?
धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रों में व्रत रखने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। नौ दिन तक व्रत रखने वाले साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है, मानसिक शांति मिलती है और पापों का क्षय होता है।
आयुर्वेद के अनुसार इस दौरान बदलते मौसम में उपवास और सात्त्विक भोजन शरीर को स्वस्थ रखने में भी सहायक होता है।





