देहरादून। उत्तराखंड में संपत्ति खरीदना अब पहले से महंगा होने जा रहा है। राज्य सरकार ने रजिस्ट्रेशन शुल्क की अधिकतम सीमा को 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया है। वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने सोमवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की, जिसके बाद निबंधन विभाग ने नए शुल्क तुरंत लागू कर दिए।
2015 के बाद पहली बार संशोधन
यह रजिस्ट्रेशन शुल्क में यह संशोधन करीब 10 साल बाद किया गया है।अब भी नियम पहले जैसे ही है , संपत्ति मूल्य का 2% रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में देना होगा, लेकिन अधिकतम सीमा 50,000 रुपये कर दी गई है। यानी संपत्ति की कीमत चाहे जितनी ज्यादा हो, रजिस्ट्रेशन शुल्क 50 हजार से अधिक नहीं लिया जाएगा।
वित्त सचिव के अनुसार, यह नई दरें “तर्कसंगत और व्यवहारिक” हैं और इन्हें विभागीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए संशोधित किया गया है।
अन्य राज्यों की तुलना में अब भी कम शुल्क
सहायक महानिरीक्षक निबंधन अतुल कुमार शर्मा ने बताया कि उत्तराखंड में रजिस्ट्रेशन शुल्क अन्य राज्यों की तुलना में अभी भी कम है।
उदाहरण के लिए जैसे कि उत्तर प्रदेश में शुल्क 1% है, लेकिन कोई अधिकतम सीमा नहीं है।उत्तर प्रदेश में-
10 लाख की संपत्ति पर शुल्क = 10,000 रुपये
1 करोड़ की संपत्ति पर शुल्क = 1,00,000 रुपये
यानी संपत्ति जितनी महंगी होती जाएगी, शुल्क उतना बढ़ता जाएगा।
इसके मुकाबले उत्तराखंड में सीमा 50 हजार पर सीमित है, इसलिए महंगी संपत्तियों पर लोगों को ज्यादा लाभ मिलता है।
नया शुल्क ऐसे लागू होगा
राज्य सरकार ने संपत्ति के मूल्यांकन के आधार पर नया शुल्क ढांचा तय किया है—
1 लाख रुपये तक की संपत्ति: 2,000 रुपये
5 लाख रुपये तक: 10,000 रुपये
10 लाख रुपये तक: 20,000 रुपये
25 लाख रुपये तक: 50,000 रुपये
25 लाख से अधिक मूल्य: अधिकतम 50,000 रुपये ही रहेगा।
स्टांप विभाग के कार्यों में उपयोग
रजिस्ट्रेशन शुल्क का उपयोग स्टांप विभाग की विभिन्न सेवाओं और प्रशासनिक कार्यों के लिए किया जाता है। सरकार का कहना है कि संशोधित दरों से विभाग की कार्यक्षमता और सेवा गुणवत्ता को बढ़ावा मिलेगा।





