देहरादून: उत्तराखंड में महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर शुरू की गई सेनेटरी पैड वितरण योजना पर अब विरोध के स्वर तेज़ हो गए हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार ने उन पर पैड बेचने का दबाव बनाया है और पेड्स के रेट भी बढ़ा दिए गए हैं जो कि महिलाओं को फ्री में उपलब्ध होने चाहिए थे।
पहले जहां एक पैकेट पैड मात्र ₹6 में उपलब्ध कराए जाते थे, वहीं अब वही पैड ₹15 में बेचे जा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं और किशोरियों के लिए यह कीमत बहुत भारी साबित हो रही है।जिसके कारण वह पैड नहीं खरीदना चाहती हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की आपत्ति
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें कट्टो में पैड उठाकर गांव-गांव बेचने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन न तो उन्हें इस काम का प्रशिक्षण दिया गया है और न ही इसके लिए कोई उचित प्रोत्साहन (इंसेंटिव) मिल रहा है।
उनका कहना है कि यह काम उनकी मूल जिम्मेदारियों से अलग है और ऊपर से महिलाओं के लिए पैड महंगे कर देने से लोग खरीद ही नहीं रहे।
ग्रामीण महिलाओं की परेशानी
गांवों में रहने वाली कई महिलाओं ने कहा कि इतनी महंगी दर पर पैड खरीदना मुश्किल है। उनका कहना है कि अगर सरकार सच में मासिक धर्म स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है तो पैड सस्ती दरों पर या मुफ्त उपलब्ध कराए जाएं।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नहीं ने भी सरकार से मांग की है कि योजना की समीक्षा की जाए। उनका कहना है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर बोझ डालने के बजाय स्वास्थ्य विभाग को सीधे वितरण करना चाहिए और ग्रामीण महिलाओं को किफायती दरों पर पैड मुहैया कराना चाहिए।
हालांकि सरकार का कहना है कि पैड वितरण योजना महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए चलाई गई है और मूल्य वृद्धि वितरण लागत को देखते हुए की गई है। लेकिन विरोध के बढ़ते स्वर को देखते हुए संकेत दिए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में सरकार इस नीति में कुछ बदलाव कर सकती है।,





