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देहरादून में नागरिक सुरक्षा पारितोषिक वितरण समारोह का सफल समापन , इन सभी को किया सम्मानित

By: Mr Rahim

On: Wednesday, March 12, 2025 12:03 PM

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देहरादून में नागरिक सुरक्षा पारितोषिक वितरण समारोह का सफल समापन

देहरादून

मार्च को देहरादून के नगर निगम टाउन हॉल में पारितोषिक वितरण समारोह धूम धाम से मनाया गया।

समारोह में नागरिक सुरक्षा विभाग के प्रतिनिधियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। समारोह में देहरादून जिले के प्रतिनिधियों द्वारा किए गए जनहित कार्यो को सम्मानित किया गया जिनमे विभाग के सेक्टर वार्डन, पोस्ट वार्डन, डिप्टी पोस्ट वार्डन एवं इन्सिडेन्ट कण्ट्रोल अफसर मौजूद रहे। इस अवसर पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में ‘कथकालय’ द्वारा होली धमाल की प्रस्तुति ने भी लोगो का मन मोह लिया।

देहरादून नागरिक सुरक्षा के डिप्टी कंट्रोलर श्यामेन्द्र कुमार साहू की निगरानी में कार्यक्रम का आयोजन सफल रहा।

इस अवसर पर कार्यक्रम मे मेयर देहरादून  सौरभ थपलियाल, डिप्टी चीफ वार्डन अरविन्द चौधरी, डॉक्टर सूर्यप्रकाश भट्ट, लोकेश गर्ग, रविंदर मोहन काला, महेश गुप्ता, संजय मल्ल, कुणाल मल्ला, नीरज उनियाल,विमला शर्मा,सुधीर बडोला,विनोद यादव, योगेश तनेजा, रजत जैन,हरीश नारंग, फ़िरोज़ अख्तर, धीरेन्द्र प्रताप सिंह, डॉक्टर ललित , रेखा, प्रीती, ममता, उदित, नितिन गोयल, राखी उपाध्य, राहुल सोनकर एवं समस्त वरिष्ठ वार्डन,पोस्ट वार्डन एवं २५० सेक्टर वार्डन उपस्थित रहे इसी के साथ नागरिक सुरक्षा विभाग की क्विक रिस्पांस टीम एवं विभाग का सोशल मीडिया भी लांच किया गया ।

नागरिक सुरक्षा विभाग को तत्काल आपातकालीन स्थितियों से निपटने, जनता की रक्षा करने, महत्वपूर्ण सेवाओं और सुविधाओं को बहाल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो आपदा से नष्ट या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐतिहासिक रूप से, भारत सरकार की नागरिक रक्षा नीति, 1962 में आपातकाल की घोषणा तक, राज्यों और केंद्र क्षेत्रों को नागरिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता के प्रति सचेत करने और उन्हें तत्कालीन आपातकालीन राहत संगठन (ईआरओ) योजना के तहत प्रमुख शहरों और कस्बों के लिए तैयार नागरिक सुरक्षा योजनाओं को रखने के लिए सीमित कर दिया गया था। 1962 में चीनी आक्रामकता और 1965 में इंडो-पाक संघर्ष ने नागरिक रक्षा की नीति और दायरे के बारे में फिर से काफी विचार किया। सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 (1968 के अधिनियम 27) को मई 1968 में संसद द्वारा पारित किया गया था। यह अधिनियम पूरे भारत तक फैलता है।

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