देहरादून | योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद एक बार फिर विवादों में है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में पतंजलि के गाय के घी के सैंपल लैब टेस्ट में फेल होने के बाद कोर्ट ने घी के निर्माता, वितरक और खुदरा विक्रेता पर कुल 1.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
हालांकि पतंजलि ने इस कार्रवाई को “त्रुटिपूर्ण और विधि-विरुद्ध” बताते हुए फैसले को चुनौती देने की बात कही है।
कैसे शुरू हुआ मामला?
पिथौरागढ़ के सहायक खाद्य सुरक्षा आयुक्त आर.के. शर्मा के अनुसार अक्टूबर 2020 में पतंजलि गाय का घी का सैंपल लिया गया था।जिसका पहला टेस्ट रुद्रपुर की राज्य प्रयोगशाला में हुआ, जहाँ सैंपल फेल पाया गया। लेकिन व्यापारियों ने दोबारा जाँच के लिए केंद्र सरकार की रेफरल लैब में सैंपल भेजा।जहां 2022 में सेंट्रल लैब ने भी घी को फेल घोषित किया था।
इसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा मामला एसडीएम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। जहां 19 नवंबर 2025 को आए फैसले में अदालत ने पतंजलि के निर्माता पर 1.25 लाख और वितरक–खुदरा विक्रेता पर 15,000 रुपये का जुर्माना तय किया है।
कोर्ट के फैसले पर क्या बोली पतंजलि?
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर बयान जारी कर फैसले पर आपत्ति जताई। कंपनी ने कहा कि कोर्ट का आदेश कई कारणों से “कानूनन गलत” है।पतंजलि ने अपनी सफाई में यह कहा की रेफरल लैब मान्यता प्राप्त नहीं थी,कंपनी ने दावा किया कि जिस लैब ने दोबारा टेस्ट किया गया था, वह NABL से घी परीक्षण के लिए मान्यता प्राप्त नहीं थी, इसलिए उसकी रिपोर्ट कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है। साथ ही बोला कि जिन पैरामीटरों पर घी फेल बताया गया, वे उस समय लागू ही नहीं थे।कंपनी के अनुसार, लैब ने ऐसे मानकों के आधार पर सैंपल फेल किया जो उस समय प्रभावी नहीं थे। इसलिए रिपोर्ट ‘विधिक रूप से गलत’ है।
और आखिर में लिखा कि दोबारा परीक्षण एक्सपायरी डेट के बाद हुआ था।पतंजलि का कहना है कि जब दोबारा टेस्ट किया गया, तब सैंपल की एक्सपायरी डेट बीत चुकी थी। ऐसे सैंपल को जांच मानकों में मान्यता नहीं दी जाती है।
पतंजलि ने RM Value पर दिया स्पष्टीकरण
कंपनी के अनुसार: कोर्ट के आदेश में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि घी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।घी में केवल RM Value (volatile fatty acids का स्तर) में नाममात्र का अंतर पाया गया।यह अंतर प्राकृतिक कारणों जैसे जलवायु और गाय के आहार के चलते बदल सकता है।पतंजलि ने कहा कि RM Value के मानक समय–समय पर FSSAI भी बदलती रहती है, इसलिए नमूना फेल होना गुणवत्ता खराब होने का प्रमाण नहीं है।
कंपनी ने घोषणा की है कि वह इस आदेश के खिलाफ फूड सेफ्टी ट्राइब्यूनल में अपील दायर करेगी।





