देहरादून : देहरादून जिले के कालसी क्षेत्र स्थित हरिपुर व्यास की वह विवादित जमीन, जिस पर पाकिस्तान/पीओके से आए व्यक्ति ने मालिकाना हक़ का दावा किया था, अब पूरी तरह उत्तराखंड सरकार के नाम दर्ज कर दी गई है। उपजिलाधिकारी कालसी प्रेमलाल ने यह बड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग 0.7688 हेक्टेयर भूमि से आठ व्यक्तियों के नाम हटाकर इसे राज्य सरकार में निहित कर दिया।
इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी देहरादून को भी भेज दी गई है।
मामले की शुरुआत 2022 से
यह विवाद वर्ष 2022 में तब शुरू हुआ, जब जम्मू-कश्मीर निवासी और जम्मू पुलिस से निलंबित कर्मचारी गुलाम हैदर ने हरिपुर कालसी क्षेत्र में जमीन खरीदी थी। आरोप है कि हैदर ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जनजातीय क्षेत्र में जमीन हासिल की।
उसने अपना नाम परिवार रजिस्टर में दर्ज करवाया, स्थायी निवास प्रमाण पत्र भी बनवा लिया और इसी आधार पर जमीन की खरीद-फरोख्त की।
इस पूरे प्रकरण में हरिपुर क्षेत्र में रहने वाले उसके एक रिश्तेदार की भूमिका भी सामने आई है।
पाकिस्तान/पीओके से आए वीडियो ने बढ़ाया विवाद
प्रशासन को मामले की गंभीरता तब पता चली जब पाकिस्तान/पीओके से एक वीडियो वायरल हुआ।
वीडियो में अब्दुल्ला नाम का व्यक्ति दावा करता दिखा कि यह जमीन उसके दादा मोटा अली की थी, जिसे उन्होंने इमामबाड़ा मस्जिद को दान दिया था। एक अन्य वीडियो में वह व्यक्ति स्थानीय मौलवी के साथ खड़े होकर फिर दावा करता दिखाई दिया।
इसी बीच यह भी सामने आया कि गुलाम हैदर ने जमीन को कई लोगों को बेच दिया है, और अब विभिन्न पक्ष इस जमीन पर मालिकाना हक़ जताने लगे थे।
प्रशासन की जांच में सभी दावे खारिज
जांच में पाया गया कि यह जमीन जनजातीय क्षेत्र में आती है, जहां बाहरी व्यक्तियों द्वारा जमीन खरीदना अवैध है। नियमों के अनुसार, ऐसी जमीन सीधे राज्य सरकार में निहित कर दी जाती है।
एसडीएम कालसी ने कार्रवाई करते हुए निम्न नामों को भूमि अभिलेख से हटा दिया:
रजब अली
मो. शफी
मो. अली
मो. शौकत अली
तेवर अली
असगर अली
सफदर अली
विल्किस बानो
अब इस भूमि पर राज्य सरकार का नाम दर्ज हो गया है, जिससे विवाद पूरी तरह समाप्त माना जा रहा है।





