देहरादून। एक ओर जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को उत्तराखंड विधानसभा में राज्य की 25 वर्षों की विकास यात्रा का बखान किया, वहीं राजधानी देहरादून की सड़कों पर एक अलग तस्वीर दिखाई दी।
स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के खिलाफ 300 किलोमीटर लंबी पदयात्रा कर पहुंचे आंदोलनकारियों को राजधानी की दहलीज पर ही रोक दिया गया और पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
राजधानी की सरहद पर रोके गए आंदोलनकारी
“ऑपरेशन स्वास्थ्य” के तहत चौखुटिया से देहरादून पहुंचे आंदोलनकारी सोमवार को जब गांधी पार्क की ओर बढ़ रहे थे, तो पुलिस ने उन्हें शहर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी।
जोगीवाला चौक पर पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को जबरन हिरासत में ले लिया, जिससे मौके पर झड़प की स्थिति बन गई।
आंदोलनकारियों ने सड़क पर बैठकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया और गांधी पार्क जाने की मांग पर अड़े रहे।
पुलिस ने उन्हें जबरन बसों में बैठाकर स्थल से हटाया।
दरअसल, आंदोलनकारियों का सोमवार को गांधी पार्क में धरना देने का कार्यक्रम था, जिसके बाद वे मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को ज्ञापन सौंपने वाले थे।
लेकिन राष्ट्रपति के दौरे के चलते कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण उन्हें राजधानी में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
“ऑपरेशन स्वास्थ्य” बना जनता की आवाज़
यह आंदोलन अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया क्षेत्र से शुरू हुआ, जहां सीएचसी में डॉक्टरों की भारी कमी, जांच सुविधाओं का अभाव और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली ने जनता को आंदोलित कर दिया।
लाचार ग्रामीणों ने 2 अक्टूबर को “ऑपरेशन स्वास्थ्य” नाम से यह पदयात्रा शुरू की थी।
पूर्व फौजी भुवन कठायत के नेतृत्व में शुरू हुई इस यात्रा में सैकड़ों महिलाएं, युवा और बुजुर्ग शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने “डॉक्टर दो, अस्पताल बचाओ” और “धामी सरकार होश में आओ” जैसे नारे लगाते हुए आरती घाट से देहरादून तक यात्रा की।
“विकास की बात, पर स्वास्थ्य पर खामोशी”
आंदोलनकारियों का कहना है कि जब राज्य सरकार मंचों से विकास की गाथा सुनाती है, तब ग्रामीणों की बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को पुलिस बल से कुचलना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
उनका कहना है कि जब तक हर ग्रामीण क्षेत्र में विशेषज्ञ डॉक्टर और आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।





