हरिद्वार: उत्तराखंड का हरिद्वार आगामी अर्द्धकुंभ में एक ऐतिहासिक आयोजन का गवाह बनने जा रहा है। पहली बार अर्द्धकुंभ में अमृत ‘शाही’ स्नान का आयोजन होगा। यह भव्य मेला 1 जनवरी 2027 से 30 अप्रैल 2027 तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें तीन अमृत स्नान और 10 प्रमुख स्नान शामिल होंगे।

संतों के सुझावों पर तैयार होगी योजना
शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार के डामकोठी में तेरहों अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर कार्यक्रम की तिथियाँ घोषित कीं।
इस दौरान उन्होंने साधु-संतों का स्वागत किया और उनसे मेले को और अधिक दिव्य व भव्य बनाने के लिए सुझाव भी मांगे।सीएम धामी ने कहा कि अर्द्धकुंभ में साधु-संतों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उनके सुझावों के अनुसार ही सारी तैयारियाँ की जाएँगी।

शाही स्नान को अमृत स्नान क्यों कहा जाने लगा?
महाकुंभ 2025 से शाही स्नान को “अमृत स्नान” नाम दिया गया है।
इस बदलाव की मुख्य वजह,‘शाही स्नान’ शब्द की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि मुगल काल से जुड़ी हुई थी और ‘अमृत स्नान’ शब्द प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है।
साधु-संतों की मांग पर ही यह नाम परिवर्तन किया गया, जिससे धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व और मजबूत होगा।
अखाड़ों ने शुरू की तैयारियाँ
अर्द्धकुंभ को लेकर सभी अखाड़े उत्साहित दिख रहे हैं।
बैठक में शामिल प्रमुख संतों में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी,महामंत्री श्रीहरि गिरी,अन्य तेरह अखाड़ों के सचिव शामिल रहे।सभी ने मेले को पूर्ण कुंभ की तर्ज पर भव्य बनाने की सहमति जताई।
क्या होगा खास?
हरिद्वार में पहली बार अर्द्धकुंभ में ‘अमृत शाही स्नान’ होगा,लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद भी जताई जा रही है,ज़ोरदार सुरक्षा व्यवस्था और आधुनिक सुविधाएँ की गई है।जिसके साथ धार्मिक आस्था और संस्कृति को भव्य स्वरूप में प्रदर्शित किया जाएगा





