भीमताल: 21वीं सदी में भी उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों की तस्वीर नहीं बदली है। सड़कों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी आज भी लोगों को मुश्किल हालात में जीने को मजबूर कर रही है। हालत यह है कि बीमार मरीजों को अस्पताल तक ले जाने के लिए ग्रामीणों को डोली और कुर्सी का सहारा लेना पड़ता है।
धारी ब्लॉक के देवनगर के तोक सिकिंजला गांव का हाल ही में एक मामला सामने आया है ।यहां 21 वर्षीय हरीश बेलवाल का कुछ समय पहले हर्निया का ऑपरेशन हुआ था। अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिवार और ग्रामीणों ने आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाने की कोशिश की थी। लेकिन गांव में सड़क न होने की वजह से हरीश को कुर्सी-डोली में बैठाकर 3 किलोमीटर दूर सड़क तक लाना पड़ा जिसमें करीबन दौरान 4 घंटे लग गए। इसके बाद 108 एंबुलेंस से उसे हल्द्वानी रेफर किया गया।
500 से ज्यादा लोग अब भी सड़क से वंचित
गांव में 500 से ज्यादा लोग रहते हैं, लेकिन आज तक वहां सड़क नहीं पहुंची हैं ।ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में जनप्रतिनिधि सड़क बनाने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई भी उनकी सुध लेने नहीं आता है।
ग्रामीण युवाओं का कहना है कि हर बार किसी के बीमार पड़ने या गर्भवती महिलाओं की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें कुर्सी-डोली उठाकर ले जाना पड़ता है। इससे मरीज की जान तो खतरे में पड़ती ही है, साथ ही युवाओं की पढ़ाई और काम भी प्रभावित होता है।
ग्रामीणों की नाराजगी और चेतावनी
गांव के युवाओं—कमल बृजवासी और किशोर तिवारी—का कहना है कि “आजादी के बाद से अब तक सड़क नहीं बनी। मुख्यमंत्री खुद संज्ञान लें और जल्द सड़क निर्माण का काम शुरू कराएं। अगर अबकी बार भी सड़क नहीं बनी, तो आने वाले चुनाव में गांव के लोग वोट नहीं देंगे।”





