हरिद्वार। देवभूमि उत्तराखंड की पवित्र नगरी हरिद्वार में आज श्रद्धालुओं को उस दृश्य का सामना करना पड़ा जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। हर की पैड़ी घाट पर गंगा नदी का प्रवाह पूरी तरह से थम गया है। जलधारा सूखने से घाटों पर दूर-दूर तक केवल गाद और सूखी मिट्टी नजर आ रही है।

दरअसल, दशहरे की रात से गंगनहर को 18 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। इस दौरान नहर की सफाई और मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार 2 अक्टूबर की रात से लेकर 19 अक्टूबर की रात तक यह कार्य चलेगा। इस अवधि में केवल गंगा आरती के समय थोड़ी मात्रा में जल छोड़ा जाएगा ताकि धार्मिक परंपरा जारी रह सके।
श्रद्धालुओं में निराशा और सवाल
गंगा स्नान के लिए देशभर से पहुंचे श्रद्धालु निराश होकर लौट रहे हैं। कोई स्नान नहीं कर पा रहा तो कोई आचमन के लिए भी जल खोजता नजर आया। कई श्रद्धालु सुबह आरती के समय पहुंचे तो घाट पर सूखी जमीन देखकर स्तब्ध रह गए। उनका कहना है कि इतनी बड़ी मरम्मत प्रक्रिया से पहले श्रद्धालुओं को सूचित किया जाना चाहिए था।
स्थानीय लोग बोले—‘गंगा सूख गई तो शहर सूना लग रहा’
हरिद्वार के स्थानीय लोगों का कहना है कि हर की पैड़ी पर गंगा का प्रवाह इस शहर की पहचान है। यहां गंगा के बिना जीवन सूना लगता है। कई दुकानदारों ने बताया कि श्रद्धालुओं की कमी से कारोबार पर भी असर पड़ा है।
प्रशासन की सफाई
सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गंगनहर को हर साल इसी समय मरम्मत के लिए बंद किया जाता है ताकि दीवाली से पहले घाटों की सफाई और संरचना मजबूत की जा सके। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा कारणों से जल प्रवाह रोकना जरूरी था, क्योंकि कई जगह दीवारों और स्लैब में दरारें आई हैं जिन्हें ठीक किया जा रहा है।
अभिघार विभाग के अधिशासी अभियंता विकास त्यागी ने बताया कि पूरी तरह पानी नहीं रोका गया है। खासकर गंगा आरती के समय श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हरकी पैड़ी की ओर आंशिक जलधारा छोड़ी जा रही है।





