देहरादून: उत्तराखंड की भीषण आपदा के बीच जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों में हौसले की मिसाल पेश की है। देहरादून जिले के कई गांव — मजाड़, कार्लीगाड़, सहस्त्रधारा, मालदेवता, फुलेत, छमरोली, सिल्ला, सिरोना और क्यारा — सड़क ध्वस्त होने और संपर्क टूट जाने से पूरी तरह प्रभावित हुए हैं। लेकिन कठिन परिस्थितियों के बावजूद जिलाधिकारी ने खुद पैदल पहुंचकर हालात का जायजा लिया।

पैदल सफर कर पहुंचे प्रभावित गांव
फुलेत, छमरोली, सिल्ला और क्यारा गांवों का सड़क संपर्क पूरी तरह कट चुका था, जहां अब तक केवल हेली सेवा से राशन और राहत सामग्री पहुंचाई जा रही थी। लेकिन डीएम ने हवाई विकल्प छोड़कर मालदेवता से होते हुए सेरकी-सिल्ला, भैंसवाड़ और छमरोली तक का लगभग 12 किलोमीटर का दुर्गम पैदल सफर तय किया। इस दौरान उन्होंने घर-घर और खेत-खलिहानों तक पहुंचकर आपदा से हुए नुकसान का आकलन किया।
डीएम ने कार्लीगाड़ और मजाड़ में रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी की, वहीं मसूरी में सड़क मार्ग बहाल करने और मालदेवता रोड पर वाशआउट हिस्सों को दुरुस्त कराने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी स्वयं इन कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं ताकि जल्द से जल्द जनजीवन सामान्य हो सके।
विशेष टीम तैनात
प्रभावित क्षेत्रों में राहत और मुआवजे का कार्य तेज़ करने के लिए प्रशासन ने विशेष तहसीलदार, बीडीओ और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों को मौके पर तैनात किया है। ये अधिकारी तब तक वहीं रहेंगे जब तक क्षति का पूरा आकलन और मुआवजा वितरण पूरा नहीं हो जाता।
ग्रामीणों ने कहा कि आज़ादी के बाद पहली बार कोई जिलाधिकारी इस कठिन रास्ते से उनके गांव तक पहुंचा है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन की इस तत्परता की सराहना की और उम्मीद जताई कि जल्द ही राहत और पुनर्निर्माण का कार्य पूरा होगा।





