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देहरादून में जमीन खरीदना हुआ महंगा — सरकार ने बढ़ाए सर्कल रेट, जानिए कितने प्रतिशत बड़ी जमीन की कीमतें

By: Neetu Bhati

On: Tuesday, October 7, 2025 9:21 AM

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देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भूमि के सर्कल रेट (Circle Rate) में बड़ा संशोधन किया है। नई दरें 5 अक्टूबर 2025 से लागू हो चुकी हैं। राजस्व विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, देहरादून समेत कई जिलों में भूमि के सर्कल रेट 9% से 22% तक बढ़ाए गए हैं।

इस बढ़ोतरी के बाद अब जमीन खरीदना आम आदमी के लिए और महंगा हो जाएगा। सरकार का कहना है कि यह कदम राजस्व बढ़ाने और भूमि बाजार को वास्तविक मूल्यांकन से जोड़ने के लिए उठाया गया है।

क्या होता है सर्कल रेट?

सर्कल रेट वह न्यूनतम दर होती है जिस पर किसी क्षेत्र में संपत्ति की रजिस्ट्री की जाती है। सरकार द्वारा तय यह दर बाजार दर से कम नहीं हो सकती। यानी अगर सर्कल रेट बढ़ता है तो स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री फीस दोनों बढ़ जाती हैं, जिससे खरीदारों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

प्रदेश में नए सर्किल रेट लागू करने के आदेश दे दिए गए हैं। जिस कारण अब उत्तराखंड में जमीन लेना आसान नहीं होगा।क्योंकि लगातार हो रहे निर्माण के कारण रेट्स में वृद्धि हुई है।

देहरादून में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी

देहरादून में इस बार सर्कल रेट में औसतन 18% से 22% तक की बढ़ोतरी की गई है। खास तौर पर राजपुर रोड, सहस्रधारा, रायपुर, हरिद्वार रोड और प्रेमनगर क्षेत्र में जमीनों के दामों में बड़ा उछाल देखने को मिलेगा।

ग्रामीण इलाकों जैसे डोईवाला, विकासनगर और सेलाकुई में सर्कल रेट 9% से 12% तक बढ़ाए गए हैं।

खरीदारों और बिल्डरों पर असर

रियल एस्टेट विशेषज्ञों के मुताबिक, सर्कल रेट बढ़ने से नई रजिस्ट्रियों में गिरावट आ सकती है। बिल्डर और डेवलपर अब प्रोजेक्ट की कीमतें बढ़ाने की तैयारी में हैं। वहीं, घर खरीदने की सोच रहे मध्यमवर्गीय परिवारों को अब पहले से 15% तक ज्यादा खर्च उठाना पड़ेगा।

सरकार का पक्ष

राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सर्कल रेट लंबे समय से अपडेट नहीं किए गए थे, जबकि बाजार दरें कई गुना बढ़ चुकी थीं। इसलिए अब सर्कल रेट में बढ़ोतरी से न केवल पारदर्शिता आएगी बल्कि राज्य को अतिरिक्त राजस्व आय भी होगी।

उत्तराखंड सरकार द्वारा सर्कल रेट में की गई बढ़ोतरी ने जहां राज्य के राजस्व को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ाया है, वहीं आम नागरिकों और निवेशकों पर इसका सीधा आर्थिक असर पड़ने जा रहा है। अब संपत्ति खरीदने से पहले खरीदारों को अपनी जेब का और गहराई से हिसाब लगाना होगा।

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