हरिद्वाद: हरिद्वार में उपजिलाधिकारी (एसडीएम) की अदालत ने वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। एसडीएम जितेंद्र कुमार की अदालत ने दस अलग-अलग मामलों की सुनवाई में उन बेटों को उनके माता-पिता की संपत्ति से बाहर करने का आदेश दिया है, जिन्होंने अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार और तिरस्कार से भरा व्यवहार किया था।
अदालत में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पाया गया कि बेटों ने दंपतियों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए अपने माता-पिता को भोजन और पानी तक से वंचित रखा था। जिससे परेशान होकर वृद्ध दंपतियों ने एसडीएम कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई थी।
वरिष्ठ नागरिकों ने बताया कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी की मेहनत से मकान बनाया, लेकिन अब उनके बेटे ही उन्हें घर से निकालने पर उतारू हैं। एक मामले में तो बेटे ने पिता को खाना देने से भी इनकार कर दिया। इन सभी मामलों में एसडीएम अदालत ने बेटों को तत्काल प्रभाव से संपत्ति से बाहर करने का आदेश दिया और पुलिस को निर्देश दिया कि आदेश का पालन सख्ती से कराया जाए।
मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न के भी मिले प्रमाण
कई मामलों में बेटों ने अपने माता-पिता को न केवल आर्थिक रूप से परेशान किया, बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया। दो मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें सरकारी कर्मचारी रह चुके वृद्ध दंपतियों को उनके ही बेटे घर से निकालने की कोशिश कर रहे थे।
एसडीएम जितेंद्र कुमार ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सरकार ने स्पष्ट प्रावधान किए हैं। कोई भी संतान यदि अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करती है, तो उसे उनकी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रह जाता हैं।
यह फैसला उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए राहत लेकर आया है, जो अपने ही बच्चों के अत्याचार का सामना कर रहे हैं। अदालत का यह कदम समाज में वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक सख्त संदेश माना जा रहा है।





